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सिरसा के विधायक, पूर्व गृहराज्यमंत्री एवं हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा और उनके अनुज वरिष्ठ भाजपा नेता एवं श्री बाबा तारा जी कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद कांडा ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करते हुए कहा कि डा.मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डॉ मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांतवादी थे। वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मलित हुए।
उन्होंने कहा कि डा. मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे मानते थे कि विभाजन संबंधी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी। वे मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अंतर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1925 में आरएसएस की स्थापना हो चुकी थी और उनके पिता स्व.मुरलीधर कांडा एडवोकेट को आरएसएस की विचारधारा अपने वश में कर चुकी थी। उन्होंने बताया कि जब डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी पर डाक टिकट जारी हुआ तो उसका लोकापर्ण बाबू मुरलीधर कांडा एडवोकेट से करवाया गया था।