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नई दिल्ली: असम और मणिपुर में इस साल कई बेगुनाहों की हत्या में अचानक वृद्धि देखी गई है, जबकि पूरे पूर्वोत्तर में भी पिछले साल की तुलना में इस साल उग्रवाद से संबंधित हिंसाएं बढ़ी हैं.
गृह मंत्रालय के एक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 15 नवंबर तक केवल दो नागरिकों की हत्या की तुलना में इस साल असम में इस अवधि तक 11 नागरिक मारे गए हैं. मणिपुर में जहां पिछले साल नागरिकों की मौत शून्य थी, वहीं इस साल नौ नागरिकों की मौत हो चुकी है.
गौरतलब है कि इस साल असम में 13 विद्रोही मारे गए हैं, जबकि सुरक्षा एजेंसियों के आतंकवाद रोधी अभियानों में पांच विद्रोहियों को मार गिराया है. इसी तरह, मणिपुर में इस साल 18 विद्रोही मारे गए हैं. राज्य में पिछले साल भी सात विद्रोहियों की हत्या हुई थी.
संसद में प्रस्तुत एक बयान में, गृह मंत्रालय ने कहा कि असम में इसी अवधि के दौरान किसी भी सुरक्षाकर्मी की मौत नहीं हुई, जबकि 2020 में मणिपुर में तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई थी. इसके बाद इस साल सुरक्षा बल के पांच जवानों की मौत हुई.
मणिपुर को झकझोर देने वाली ताजा घटना 13 नवंबर को हुई थी जिसमें 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर और उनके परिवार के सदस्य मारे गए थे. PREPAK/PLA के संयुक्त विद्रोही सदस्यों द्वारा कथित रूप से किए गए घात में क्वीक रिएक्शन टीम के चार अन्य सदस्य भी मारे गए.
गृह मंत्रालय के आंकड़ों में आगे कहा गया है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में तेज वृद्धि देखी गई है. 2020 में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 163 उग्रवाद संबंधी घटनाएं हुईं और उसके बाद 2021 में 187 घटनाएं हुईं।