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हरियाणा में कोरोना टेस्ट करने वाली SRL Lab के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कानूनी राय लेने संबंधी फाइल एडवोकेट जनरल कार्यालय में दबकर रह गई है। SRL Lab कोरोना टेस्ट के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पैनल पर है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को आशंका है कि SRL Lab में कराए गए कोरोना के टेस्ट की रिपोर्ट ठीक नहीं है। जिन टेस्ट को SRL Lab ने पॉजिटिव करार दिया, उन्हेंं सरकारी लैब में कराने पर नेगेटिव पाया गया। इससे लोगों में जबरदस्त दहशत का माहौल बना।
हरियाणा में कुल 14 टेस्ट ऐसे पाए गए, जिन्हेंं SRL Lab ने पहले पॉजिटिव करार दिया, लेकिन उन्हेंं सरकारी लैब में कराया गया तो रिपोर्ट नेगेटिव आई। अंबाला छावनी से इसकी शुरुआत हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अंबाला छावनी से विधायक हैं। अंबाला छावनी की एक नर्स SRL Lab में हुई टेस्टिंग के बाद कोरोना पॉजिटिव घोषित की गई। जांच रिपोर्ट पर संदेह हुआ तो इसी सैंपल को खानपुर मेडिकल कालेज और कल्पना चावला मेडिकल कालेज करनाल में टेस्ट कराया गया, जिसमें दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद विभिन्न रिपोर्ट दोबारा टेस्ट हुई तो विज का शक अधिक गहरा गया।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने प्राइवेट जांच लैब एसआरएल पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) में सिफारिश भेजी है। किसी भी लैब को टेस्ट संबंधी मान्यता ICMR से मिलती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने जब गेंद हरियाणा के पाले में डाल दी तो एमओयू की शर्तों के आधार पर लैब पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई। एमओयू में कोई ऐसा बिंदु नहीं मिला, जिसके आधार पर सीधे लैब पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने इसलिए पहले कानूनी राय लेना जरूरी समझा। इसके लिए एलआर (कानूनी सलाहकार) के पास राय के लिए फाइल भेजी गई, लेकिन अभी तक फाइल लौटकर नहीं आई है। इससे अनिल विज भी खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि यह भी संभव है कि इसमें कोई खेल किया जा रहा है, इसलिए वह एलआर कार्यालय से सोमवार को पूरे मामले की रिपोर्ट तलब करेंगे।
बता दें कि SRL Lab ने अपने दावे में कहा था कि उनके द्वारा किए गए टेस्ट सही है, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि कुछ समय पहले जो टेस्ट कराए गए, दोबारा उनकी रिपोर्ट कुछ समय बाद पहले जैसी ही आएगी। विज ने SRL Lab की इस दलील को नहीं माना था और उसे प्रतिबंधित करने की सिफारिश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दी थी। अब हरियाणा सरकार अपने स्तर पर ही कार्रवाई की तैयारी में है।