PMG News Jaipur
कोरोना महामारी में लाकडाउन की वजह से लोगों के रहन-सहन से लेकर रोजी-रोटी कमाने का ढर्रा तक बदल गया है। राज्य का न सिर्फ पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है बल्कि इससे जुड़े लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सैलानी जिन लग्जरी गाड़ियों में बैठकर गुलाबी नगरी की सैर करते थे वह गाड़ियां या तो खड़ी धूल फांक रही है या फिर कोई और काम करने के लिए मजबूर हो गए हैं। ऐसे समय में कई गाड़ी मालिक किस्त चुकाने के लिए लग्जरी गाड़ियों में सब्जी बेचते भी नजर आ रहे हैं।
80 फ़ीसदी गाड़ियां लोन पर
टैक्सी एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो शहर में 35 हजार टैक्सी हैं। इनमें से 80 फ़ीसदी गाड़ियां लोन पर है। किस्त भी औसतन 14 हजार से लेकर 35 हजार रूपए तक है। ऐसे में किस्त चुकाना किसी भी वाहन मालिक के लिए आसान नहीं है।
तीन महीने से ठप्प, अभी उम्मीद भी नहीं
टैक्सी संचालकों का कहना है कि मार्च से ही आवाजाही ठप है। इस स्थिति में विदेशी सैलानियों की आवाजाही कम से कम 10 महीने नहीं होगी। देसी सैलानी भी गाड़ी किराए पर देने से डरेंगे। राजधानी में सबसे अधिक सैलानी अमेरिका और यूरोपीय देशों से आते हैं।
परिवहन विभाग से लेकर सरकार के आला अधिकारियों से मिलकर दिक्कत बताने की कोशिश की, लेकिन अब तक किसी ने समय नहीं दिया। 35 हजार टैक्सी संचालकों का भविष्य अंधकार में है।
ये हॉल जयपुर में ही नही पूरे राजस्थान में है जो टैक्सी गाड़ी चलाकर अपनी रोजी रोटी की व्यवस्था करते थे।