चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा में आगामी शैक्षणिक सत्र से विद्यार्थियों की हाजिरी में नया नियम लागू करने के निर्देश : कुलपति

पीएमजी न्यूज़ सिरसा

चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा में आगामी शैक्षणिक सत्र के दौरान विद्यार्थियों की हाजिरी रजिस्टर की बजाय प्राध्यापकों के लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैब या उन के स्मार्ट फ़ोन पर लगेगी। क्लासरूम टीचिंग प्रारंभ हो जाने के बाद भी प्रत्येक पाठ्यक्रम में कम से कम दो विषयों को ऑनलाइन पढ़ाना अनिवार्य होगा।
यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह सोलंकी ने आज शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजकुमार सिवाच द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसरस कांट्रेक्चुअलस की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।इस ऑनलाइन बैठक में विश्वविद्यालय के लगभग सभी विभागों के प्राध्यापकों ने भाग लिया। कुलपति ने बैठक की शुरुआत करते हुए सर्वप्रथम तो सभी के कुशल क्षेम की कामना की और कहा कि कोविड-19 के दौरान शिक्षकों तथा शैक्षणिक संस्थानों के अंदर गत दो माह के दौरान काफी बदलाव देखने को मिल रहा है और विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षक भी टेक्नोलॉजी के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके ज्ञान विसर्जन कर रहे हैं।इस महामारी काल के दौरान राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करके शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।




उन्होंने कहा कि स्थायी खुशी के महत्व को समझते हुए विश्व के अनेक राष्ट्रों द्वारा खुशी को भी सकल घरेलू उत्पाद के साथ जोड़कर विकास का पैमाने में शामिल किया गया है और हैप्पीनेस इंडेक्स के फार्मूले को अपनाया गया है।
जीवन भर स्थायी खुशी के चार मंत्र देते हुए कुलपति ने कहा कि सर्वप्रथम हमें अपने आप को मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ रखना होगा तभी हम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर तरीके से आगे बढ़ते हुए सफल हो पाएंगे। कुलपति ने दूसरा मंत्र देते हुए कहा कि रिश्तो का हमारे जीवन में विशेष महत्व है और हमारा खुद के साथ रिश्ता जीवन में कोई उद्देश्य निश्चित करके उस पर कार्य करने से बेहतर तरीके से उत्पन्न हो सकता है। इसी प्रकार खुद के साथ बेहतर रिश्ता स्थापित करने के साथ-साथ परिवार के साथ, प्रकृति के साथ, समाज के साथ बेहतर रिश्ता स्थापित करके हम सदैव सदैव के लिए खुश रह सकते हैं। कुलपति जीवन भर खुश रहने के तीसरे मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें योग्यता एवं कौशल विकसित करके धन उपार्जन करने में भी सक्षम होने चाहिए, ताकि हम अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और उपभोक्तावादी संस्कृति से बचना चाहिए। चौथे मंत्र का जिक्र करते हुए कुलपति ने कहा कि जीवन मूल्यों को हमें समझना चाहिए और उन्हें व्यवहारिक रूप से अमल में लाना चाहिए, यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें स्थायी खुशी प्राप्त होती है।




प्रोफेस राजबीर सोलंकी ने कहा कि कोरोना महामारी पर हम खुश रहकर ,दिन दिनचर्या बदलाव लाकर,टेक्नोलॉजी से प्यार करके विजय हासिल कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाएं एवं लोगों की जान-माल की रक्षा करना केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता पर है और लोगों के जीवन की रक्षा के लिए ही विभिन्न चरणों में लोकडाउन लगाया गया है।
कुलपति ने अध्यापकों को कहा कि इस अवसर पर उन्हें ऑनलाइन तकनीकों की विभिन्न मेथड्स पर विजय हासिल करके विद्यार्थियों को भी इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। विश्व भर के सभी शैक्षणिक संस्थानों ने ऑनलाइन तकनीक को अपना लिया है और जो कार्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग गत एक दशक के दौरान नहीं कर पाया वह इस महामारी काल के दौरान लगभग दो माह के अंदर संभव हो गया है। ऑनलाइन पाठ्यक्रम की तैयारी में लगभग देश के सभी शैक्षणिक संस्थान जुट गए हैं। ऑनलाइन डाटा का प्रबंधन आज सभी विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों के लिए अनिवार्य हो गया है और ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाएं ऑनलाइन होने की वजह से विद्यार्थियों को भी तकनीकी ज्ञान से लैस होना आज समय की मांग है। कुलपति ने इस अवसर पर इंट्रडिसीप्लिनरी ऐप्रोच पर भी जोर देते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को विज्ञान, अर्थशास्त्र ,सूचना प्रौद्योगिकी , भूगोल, राजनीतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान,भौतिकी आदि विषयों की बेसिक समझ अवश्य होनी चाहिए ताकि उनका समग्र विकास हो पाए। इसलिए उन्होंने सभी प्राध्यापकों से अनुरोध किया कि वे अपने-अपने विषय के कम से कम 10 पृष्ठ लिखकर शैक्षिक मामलों के अधिष्ठाता को 15 जून से पहले प्रस्तुत करें ताकि इस संबंध में सभी विद्यार्थियों के हित के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक तैयार की जा सके।



उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों की जानकारी हासिल करके प्राध्यापक आपने टीचिंग मेथड को और अधिक निखार सकता है। कुलपति प्राध्यापकों को सलाह दी कि वे अपने विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों पर आधारित ज्ञान भी प्रदान करें ताकि वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकें। उन्होंने कहा कि जब हम विद्यार्थियों को तन्मयता के साथ शिक्षा प्रदान करते हैं और संस्थान की बेहतरी के लिए कार्य करते हैं , तो यह सब करके हमें खुशी तो मिलती है और हमारा स्वयं का भी विकास होता है। इस अवसर पर कुलपति का धन्यवाद शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजकुमार सिवाच द्वारा किया गया और प्राध्यापकों ने अपनी फीडबैक भी कुलपति को प्रदान की। ऑनलाइन मीटिंग का संचालन आईटी सेल के जूनियर प्रोग्रामर गुलशन मेहता द्वारा किया गया।

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