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लॉकडाउन में सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। बच्चे घर से ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। जिस प्रकार ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, उसी तरह बच्चों के दाखिले भी किए जा रहे हैं। कई बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए एसआरएन यानी स्कूल रजिस्ट्रेशन नंबर से दाखिले हो, इसके लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से डीईओ को पत्र जारी किया गया है। हिदायत दी गई कि किसी अभिभावक से मूल दस्तावेजों की मांग न की जाए। बच्चों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाए। डिप्टी डीईओ शिव कुमार का कहना है कि लॉकडाउन में ऑनलाइन दाखिले जारी हैं। लेटर पर अमल किया जाएगा। लेटर में बताया गया ऑनलाइन दाखिला प्रक्रिया जारी है। सामने आया है कि कुछ स्कूलों की ओर से मूल दस्तावेजों की मांग की जा रही है। जो छात्र पांचवीं से छठी, आठवीं से नौवीं में आए हैं, उनके दाखिले एसआरएन से किए जाएं। बच्चे की सूचना पहले से ही यहां उपलब्ध है।
ऐसे में स्कूल की ओर से जारी एसएलसी ही काफी है। इसके लिए किसी छात्र को परेशान न किया जाए। ऐसा भी सामने आया है कि कुछ छात्रों के पास आधार कार्ड नहीं है। फिर भी इनसे कार्ड की मांग की जा रही है। इनको भी दाखिले से वंचित किया जा रहा है। आधार न होने पर किसी बच्चे को एडमिशन से मना नहीं किया जा सकता। फिर भी कई स्कूलों में बच्चों पर आधार के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस बारे में पहले ही बताया गया था कि एडमिशन के लिए आधार जरूरी है, लेकिन लॉकडाउन में इससे छूट रहेगी। लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे ही बच्चे आवेदन करेंगे। उसके बाद कोरम पूरा कर लिया जाएगा।
प्रवासी मजूदरों के बच्चों की सूचना करें एकत्रित | निर्देश दिए गए हैं कि उनके एरिया में जिन स्कूलों में प्रवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं। वे अब अपने राज्यों को लौट रहे हैं। इनकी सूचना भी एकत्रित की जाए। इनके माता पिता से फोन पर संपर्क किया जाए, जिससे स्कूल ड्राप आउट कम हो सके।
दाखिले के बाद अभिभावकों को करें सूचित
जारी पत्र में ये भी हिदायत दी गई है कि बच्चों का दाखिला करने के बाद उनके अभिभावकों को बताया जाए जिससे उनको भी पता लगे कि बेटे या बेटी का प्रवेश स्कूल में हो चुका है। निश्चित होकर पढ़ाई पर ध्यान करें। टीचर अभिभावकों को ई संचार के माध्यम से अभिभावकों को सूचित करेंगे। इसकी रिपोर्ट भी अपने एरिया के अधिकारी को देनी होगी।
एमडीएम एसएमसी का लें सहयोग
स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए मिड डे मील वर्कर, स्कूल स्तर कमेटी का सहयोग लिया जाए। इनके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाए कि वे अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में कराएं। स्कूल में दी जा रही सुविधा के बारे में बताएं। इससे स्कूलों में बच्चों की संख्या का ग्राफ बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।