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इंद्रजीत शर्मा
‘जेड प्लस’ और ‘सरकार—3’ फिल्मों से जुड़े रामकुमार सिंह का कहना है कि केवल अमिताभ बच्चन के डॉयलॉग लिखते समय ही नहीं, अपितु कोई भी लेखक स्क्रिप्ट लिखते समय एक रचनात्मक दबाव में रहता ही है, वही रचनात्मक दबाव उससे बेहतर करवाता है।
रामकुमार सिंह ने रविवार को चूरू पुलिस, फिल्मस्थान और संप्रीति संस्थान की ओर से चूरू पुलिस के फेसबुक पेज पर हुए लाइव सेशन में यह विचार साझा किए। फतेहपुर शेखावाटी अंचल के रामकुमार सिंह ने अपनी बातचीत चूरू और उनके गांव के खेत से शुरू की और यही बातें खेत—खलिहान से गुजरते हुए माया नगरी मुंबई तक पहुंची। राम कुमार सिंह ने कहा कि जीवन में कदम—कदम पर संघर्ष होता है। आपको जीवट रखना होता है। रामकुमार ने कहा कि यह मानकर चलना चाहिए कि योग्यता जन्मजात नहीं होती हमें योग्यता अर्जित करनी होती है। पत्रकारिता से लेकर फिल्म लेखन तक बातें करने वाले रामकुमार सिंह ने कहा कि हमें इस कोरोना संक्रमण काल में यही कोशिश करनी चाहिए कि आदमी की आदमियत कैसे बची रहे, रिश्तों में नमक को बचा कर रखना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए। हमें इस संक्रमण काल में अपनी संवेदनशीलता और मानवता को बचा के रखना होगा।
सिंह ने कहा कि यह हम सभी की बतौर नागरिक जिम्मेदारी है कि यह बीमारी से लड़े बीमार से नहीं क्योंकि हमें अंत में व्यक्ति चाहिए, बातें करने वाले चाहिए, इसी से हमें समझ लेना चाहिए कि हमें मानवता को बचा कर रखना होगा।
रामकुमार सिंह ने कहा कि इस कोरोना काल में पुलिस का सकारात्मक चेहरा सबके सामने आया है, चूरू पुलिस एसपी तेजस्विनी गौतम और फिल्मस्थान का फेसबुक लाइव करने का आइडिया बेहद अच्छा है और इससे लोगों की रचनात्मकता में इजाफा होगा। उन्होंने इस सेशन में शामिल करने के लिए चूरू पुलिस का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह किसी ने नहीं सोचा होगा कि हमें कोरोना वायरस इस तरीके से घर में बंद कर देगा। इसलिए हमें चाहिए कि हम जिस संकट से गुजर रहे हैं, उससे निपटने के विकल्प खोजें और काम करते रहें। रामकुमार सिंह ने कहा कि सरकार 3 के डायलॉग्स लिखते समय उन पर दबाव था लेकिन यह दबाव इसलिए नहीं था कि वह सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के लिए डायलॉग लिख रहे हैं। बतौर लेखक किसी किसी भी स्क्रिप्ट को लिखते समय एक लेखक पर दबाव होता है।
मौलिकता एक बहस का विषय है :-
रामकुमार सिंह ने कहा कि मौलिकता को कैसे बचाया जाए या उसे कैसे बचाए रखना चाहिए, यह एक बहस का विषय हो सकता है क्योंकि मौलिकता के मायने सभी लोगों के लिए अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप वास्तव में मौलिकता को बचाए रखना चाहते हैं तो हमें दुनिया के एक—एक व्यक्ति को बचाए रखना होगा क्योंकि एकमात्र व्यक्ति ही ऐसा है जो वास्तव में मौलिक है।
मेहनत से डरे नहीं
रामकुमार सिंह ने कहा कि आज के युवा जो फिल्म और टेलीविजन में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए सब से बेहतर मूलमंत्र यही है कि वह मेहनत से नहीं डरें। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। उन्हें चाहिए कि वह दुनिया की बेस्ट सौ फिल्में देखें। दुनिया की बेहतरीन 100 किताबें पढ़ें और दुनिया की बेहतरीन जीवनियां पढ़ें।