PMG News Jind
Vinay Dahiya
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ संबंधित सर्व कर्मचारी संघ की जिला कोर कमेटी की बैठक जिला प्रधान साधुराम की अध्यक्षता में अक्षर भवन में हुई। साधुराम ने बताया कि बैठक में राज्य सरकार द्वारा 1983 पीटीआई की भर्ती प्रक्रिया दोबारा शुरू करने पर रोष जताया और सर्वसम्मति से इस निर्णय की कड़ी निदा की। जिला प्रधान ने कहा कि अध्यापक भले ही कोर्ट से केस हार चुके हैं, लेकिन सरकार को इनके वर्षों के अनुभव को देखते हुए सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए थी। जो याचिकाकर्ता उस समय रह गए थे, राज्य सरकार उन्हें भी विभाग में एडजस्ट कर सकती थी। लेकिन सरकार ने ऐसा न करके इन अध्यापकों के पद दोबारा भर्ती के लिए दोबारा विज्ञापित करवा दिए हैं।
इन अध्यापकों के साथ परिवार भी जुड़े हैं। इनको हटाने से इनके परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। सरकार को इस निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए। पूरे कोर्ट केस में एक भी नियुक्त टीचर दोषी नहीं पाया गया है। भर्ती एजेंसी दोषी पाई गई है, उसे ही सजा दी जानी चाहिए। बैठक में भूप सिंह वर्मा, सत्येंद्र कुमार, रोहतास आसन, कलीराम, रोहतास सरोहा, सत्येंद्र गौतम, शमशेर आदि अध्यापक नेता भी उपस्थित थे।
दाखिलों के लिए चलाएं नामांकन अभियान
जिला सचिव संजीव सिगला ने कहा कि अध्यापक संघ अपने कार्यकर्ताओं व समस्त अध्यापक वर्ग को आह्वान करता है कि स्कूलों में नए दाखिलों के लिए हर वर्ष की तरह नामांकन अभियान चलाएं। आंगनवाड़ी से विद्यालय जाने वाले बच्चों की सूची लेकर, सर्वे करके व सोशल मीडिया पर बच्चों के आधार व फोटो लेकर दाखिला अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। बैठक में अध्यापक संघ के नेताओं ने सरकार से मांग की कि स्वास्थ्य विभाग व विशेषज्ञों की राय के बाद 33 प्रतिशत स्थानीय स्टाफ को स्कूल जाने की छूट दें, जिससे विद्यालय के काम-काज शुरू हो सकें।
20 फीसदी सिलेबस कम किया जाए
जिला उपप्रधान महेंद्र गौतम ने कहा कि टीवी चैनलों के माध्यम से पढ़ाई धरातल पर पूर्णत: फेल है। यह केवल कागजों के पेट भरने व चहेतों को खजाना लुटाने की स्कीम है। जो अध्यापक सोशल मीडिया अर्थात यू-ट्यूब व वाट्सएप के माध्यम से निश्शुल्क मेहनत कर रहे हैं, उनके प्रयास कुछ सार्थक हैं। लॉकडाउन के चलते शिक्षकों की ड्यूटी अनाज मंडी, सर्वे, राशन बांटने, गृह कार्य देने, अस्पताल ड्यूटी, शेल्टर होम आदि में है। अध्यापक संघ का सुझाव यह है कि इस सत्र में 20 प्रतिशत सिलेबस कम कर दिया जाए।