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अभी तक अगर डिप्टी कमिश्नर ने कोई आदेश डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) के रूप में जारी करने होते थे तो उन्हें सरकार के आदेश या फिर नोटिफिकेशन का इंतजार करना होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। हरियाणा सरकार ने इस संंबंध में 11 मई को नोटिफिकेशन निकाल दी है। इसके बाद प्रदेश के हर डीसी को डीएम की पॉवर स्वत: ही मिल गई है। अब उन्हें सरकार के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
अभी तक यही सुना था कि जिले का डीसी ही डीएम होता है, लेकिन ऐसा नहीं था। यह पावर उन्हें तभी मिलती थी जब प्रदेश सरकार सीआरपीसी 1973 की धारा 20 (1) के तहत आदेश निकालती थी। हरियाणा न्याय प्रशासन विभाग के अपर सचिव विजय वर्धन ने नोटिफिकेशन में कहा कि राज्यपाल डीसी के रूप में पद ग्रहण करने वाले सभी अधिकारियों को संबंधित जिलों में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के साथ साथ डीएम नियुक्त किया है। अब डीसी को सरकार के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा कि वह डीएम की शक्तियों का प्रयाेग कर सकते हैं कि नहीं।
ऐसे निकला नोटिफिकेशन
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि अक्टूबर 2017 में जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक संवैधानिक बैंच के निर्णय अजैब सिंह बनाम गुरबचन सिंह (फरवरी, 1965 ) का अध्ययन किया तो उन्हें डीसी सरकार के आदेश के बिना डीएम की शक्तियां यूज़ नहीं कर सकते। अगर वह ऐसे करते थे तो उनके आदेशों की कोई मान्यता या वैधता नहीं थी, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 144 में कर्फ्यू और लॉकडाउन संबंधी आदेश को डीसी डीएम के रूप में ही जारी करते हैं। हेमंत ने कहा कि उन्होंने आरटीआई न्याय प्रशासन विभाग से मांगी थी। जिसमे उन्हें जनवरी 2018 में सीधा जवाब दे दिया गया कि उनके रिकॉर्ड में ऐसी कोई नोटिफिकेशन उपलब्ध नहीं है। हेमंत ने एक और आरटीआई न्याय प्रशासन विभाग में अप्रैल, 2018 में दायर की, जिसमे उन्होंने फरवरी, 1965 के सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्णय का हवाला भी दिया, जिसके जवाब में विभाग ने आज से ठीक दो वर्ष पहले 14 मई, 2018 को अंतरिम जवाब में यह सूचित किया था कि यह मामला राज्य सरकार के पास विचाराधीन है। निर्णय होते ही उन्हें सूचना प्रदान कर दी जाएगी।