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पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि कोरोना के ख़िलाफ़ सरकारी कर्मचारी फरिश्तों की तरह काम कर रहे हैं। चाहे पक्के हों या कच्चे, तमाम कर्मचारी आज अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचा रहे हैं। सरकार ने कोरोना काल तक स्वास्थ्य महकमे के कर्मचारियों की सैलरी डबल करने का अच्छा फैसला लिया है। ऐसी ही घोषणा पुलिसकर्मियों, सफाई कर्मचारियों, डीसी रेट और ठेके पर काम करने वाले कोरोना योद्धाओं के लिए भी होनी चाहिए। क्योंकि ये लोग भी बिना छुट्टी और आराम किए दिन-रात काम कर रहे हैं। अपनी जान दांव पर लगाकर लोगों की जान बचाने वाले कोरोना योद्धाओं को हम जितना प्रोत्साहन दे सकें, उतना ही कम है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों के काम को भी सराहा। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की तरह मीडियाकर्मी भी कोरोना योद्धाओं की श्रेणी में शामिल हैं। कोरोना के बारे में पल-पल की ख़बर लोगों तक पहुंचाने और जागरुकता फैलाने के लिए तमाम मीडियाकर्मी आज भी सड़कों और दफ्तरों में चौबिसों घंटे काम कर रहे हैं। इसलिए उनकी तमाम मीडिया संस्थानों, न्यूज़पेपर और चैनल मालिक से अपील है कि वो इन कोरोना योद्धाओं को डबल सैलेरी के फ़ैसले की तर्ज पर प्रोत्साहन राशि ज़रूर दें।
नेता प्रतिपक्ष ने प्राइवेट डॉक्टर्स से भी अपील की है। उन्होंने कहा कि कोरोना के ख़तरे से घबराकर बहुत सारे प्राइवेट डॉक्टर्स ने अपने क्लिनिक और हॉस्पिटल्स को बंद कर दिया है। ऐसे में मरीज़ों का सारा दबाव सरकारी हॉस्पिटल्स पर आ गया है, जोकि पहले से कोरोना के चलते ओवरलोड हैं। इसलिए तमाम प्राइवेट डॉक्टर्स से अपील है कि वो अपनी सेवाओं को जारी रखें। कोरोना के अलावा बाकी बीमारियों के इलाज में उनका अहम योगदान हो सकता है। हुड्डा ने सरकार से अपील की कि वो तमाम सरकारी डॉक्टर्स के साथ प्राइवेट डॉक्टर्स को भी कोरोना की सेफ्टी किट मुहैया करवाए, ताकि वो संक्रमण से बच सकें।
प्रावेट डॉक्टर्स के साथ नेता प्रतिपक्ष ने प्राइवेट स्कूलों से भी अपील की है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की छुट्टियों के दौरान अभिभावकों को फ़ीस वसूली में रियायत दी जाए। जो स्कूल ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं, सरकार को उन स्कूलों की मदद करनी चाहिए, ताकि अभिभावकों पर फ़ीस का बोझ ना पड़े। लॉकडाउन की वजह से तमाम कामधंधे ठप हैं। बहुत सारे लोगों की आमदनी के तमाम रास्ते बंद हो चुके हैं। इसलिए बहुत सारे अभिभावक इस स्थिति में नहीं हैं कि प्राइवेट स्कूलों की महंगी फ़ीस का भूगतान कर सकें। इसलिए सरकार को ऐसे प्राइवेट स्कूलों से तालमेल स्थापित कर, फ़िलहाल फ़ीस में रियायत देनी चाहिए।